Siddha Kunjika Stotram | सिद्धकुञ्जिका स्तोत्रम् | Kunjika Stotram

Siddha Kunjika Stotram ek prachin Hindu stotra hai, jiska paath karne se manushya ko adhyatmik unnati aur shubh kalyan ki prapti hoti hai. Is stotra ke shlok gahan artho aur divya mahatva se yukt hote hain, jo sadhako ko antarik jagran aur paramatma ki kripa ki aur le jaate hain. Siddha Kunjika Stotram lyrics Sanskrit, Hindi, aur English mein prastut kiye gaye hain.

सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् एक प्राचीन हिंदू स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से मनुष्य को आध्यात्मिक उन्नति और शुभ कल्याण की प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र के श्लोक गहन अर्थों और दिव्य महत्व से युक्त होते हैं, जो साधकों को आंतरिक जागरण और परमात्मा की कृपा की ओर ले जाते हैं। सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र के शब्द संस्कृत, हिंदी, और अंग्रेजी में प्रस्तुत किए गए हैं।

kunjika stotram
Kunjika Stotram

Siddha Kunjika Stotram | श्री दुर्गा सप्तशती सिद्धकुञ्जिका स्तोत्रम् | Kunjika Stotram

शिव उवाच:

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मंत्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत 1

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् 2

कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् 3

गोपनीयं प्रयत्‍‌नेनस्वयोनिरिव पार्वति ।
मारणं मोहनं वश्यंस्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत्कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् 4

अथ मंत्रः

ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे ॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥

इति मंत्रः

नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि 1

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि ।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे 2

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते 3

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि 4

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्‍‌नी वां वीं वूं वागधीश्‍वरी ।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु 5

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः 6

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा 7

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिं कुरुष्व मे 8

इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रंमंत्रजागर्तिहेतवे ।
अभक्ते नैव दातव्यंगोपितं रक्ष पार्वति

यस्तु कुञ्जिकाया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायतेसिद्धिररण्ये रोदनं यथा

इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्

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Sidh Kunjika Stotra

सिद्धकुञ्जिका स्तोत्रम् (हिन्दी में) | Siddha Kunjika Stotram in Hindi

शिवजी बोले

देवी! सुनो। मैं उत्तम कुंजिकास्तोत्र का उपदेश करूँगा, जिस मंत्र के प्रभाव से देवी का जप (पाठ) सफल होता है ॥1॥

कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास यहाँ तक कि अर्चन भी (आवश्यक) नहीं है ॥2॥

केवल कुंजिका के पाठ से दुर्गापाठ का फल प्राप्त हो जाता है। (यह कुंजिका) अत्यन्त गुप्त और देवों के लिये भी दुर्लभ है ॥3॥

हे पार्वती ! इसे स्वयोनि की भाँति प्रयत्नपूर्वक गुप्त रखना चाहिये। यह उत्तम कुंजिका स्तोत्र केवल पाठ के द्वारा मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन आदि (आभिचारिक) उद्देश्यों को सिद्ध करता है ॥4॥

मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे ॥
ॐ ग्लौंl̥ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥

(मंत्र में आये बीजों का अर्थ जानना न सम्भव है, न आवश्यक और न वांछनीय। केवल जप पर्याप्त है।)

हे रुद्रस्वरूपिणी ! तुम्हें नमस्कार। हे मधु दैत्य को मारने वाली ! तुम्हें नमस्कार है। कैटभविनाशिनी को नमस्कार। महिषासुर को मारने वाली देवी ! तुम्हें नमस्कार है ॥1॥

शुम्भ का हनन करने वाली और निशुम्भ को मारने वाली ! तुम्हें नमस्कार है। हे महादेवि ! मेरे जप को जाग्रत् और सिद्ध करो ॥2॥

‘ऐंकार’ के रूप में सृष्टि स्वरूपिणी, ‘ह्रीं’ के रूप में सृष्टिपालन करने वाली। ‘क्लीं’ के रूप में कामरूपिणी (तथा निखिल ब्रह्माण्ड) की बीजरूपिणी देवी ! तुम्हें नमस्कार है ॥3॥

चामुण्डा के रूप में चण्डविनाशिनी और ‘यैकार’ के रूप में तुम वर देने वाली हो। ‘विच्चे’ रूप में तुम नित्य ही अभय देती हो। (इस प्रकार ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) तुम इस मंत्र का स्वरूप हो ॥4॥

‘धां धीं धू’ के रूप में धूर्जटी (शिव) की तुम पत्नी हो। ‘वां वीं वूं’ के रूप में तुम वाणी की अधीश्वरी हो। ‘क्रां क्रीं क्रूं’ के रूप में कालिका देवी, ‘शां शीं शूं’ के रूप में मेरा कल्याण करो ॥5॥

‘हुं हुं हुंकार’ स्वरूपिणी, ‘जं जं जं’ जम्भनादिनी, ‘भ्रां भ्रीं भ्रूं’ के रूप में हे कल्याणकारिणी भैरवी भवानी! तुम्हें बार-बार प्रणाम ॥6॥

‘अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं’ इन सबको तोड़ो और दीप्त करो, करो स्वाहा ॥7॥

‘पां पीं पूं’ के रूप में तुम पार्वती पूर्णा हो। ‘खां खीं खूं’ के रूप में तुम खेचरी (आकाशचारिणी) अथवा खेचरी मुद्रा हो। ‘सां सीं सूं’ स्वरूपिणी सप्तशती देवी के मंत्र को मेरे लिये सिद्ध करो ॥8॥

यह कुंजिका-स्तोत्र मंत्र को जगाने के लिये है। इसे भक्तिहीन पुरुष को नहीं देना चाहिये। हे पार्वती ! इसे गुप्त रखो

हे देवी! जो बिना कुंजिका के सप्तशती का पाठ करता है उसे उसी प्रकार सिद्धि नहीं मिलती जिस प्रकार वन में रोना निरर्थक होता है

इस प्रकार श्रीरुद्रयामलके गौरीतन्त्र में शिव-पार्वती-संवाद में सिद्धकुंजिकास्तोत्र सम्पूर्ण हुआ

siddh kunjika strot
Siddh Kunjika Strot

Kunjika Stotram | Durga Saptashati Siddha Kunjika Stotram (English)

Shiva Uvach:

Shrunu Devi Pravakshyami, Kunjikastotramuttamam ।
Yen Mantra Prabandh Chandijap: Shubho Bhavet ॥1

Na Kavachan Nargalastotran Kilakam N Rahshyakam ।
Na Sooktan Napi Dhyanan Ch Na Nyaso Na Ch Varchanam ॥2

Kunjikapathamatren Durgapathaphalam Labhet ।
Ati Guhayataran Devi Devanampi Rarekam ॥3

Gopaniyan Prayat‍‌nenasvayoniriv Parvati ।
Maranam Mohanam Vyasastambhochnathatadikam ।
Pathmatren Sanskidhyetkunjikastotramuttamam ॥4

Ath Mantrah

Om Ain Hrin Klinchamundayai Vichche
Om Glaun Hun Klin Joon Sah Jwalaya Jwalaya Jwal Jwal Prajwal Prajwal
Ain Hrim Klim Chamundayai Vichche Jwala han San Lan Kshan Phat Svaha

Iti Mantrah ॥ Siddha Kunjika Mantra

Namaste Roodraroopinyai Namaste Madhumardini ।
Namah Kaitabhaharinyai Namaste Mahishardini ॥1

Namaste Shumbhahantryai Ch Nishumbhasuraghatini ।
Jagratan Hi Mahadevi Japan Siddhan Kurooshv Me ॥2

Ainkari Srshtiroopayai Hrinkari Pratipalika ।
Klinkari Kamaroopinyai Bijaroope Namostu Te ॥3

Chamunda Chandaghati Ch Yaikari Varadayini ।
Vichche Chabhayada Nityan Namaste Mantraroopini ॥4

Dhan Dhin Dhoon Dhoorjateh Pat‍‌ni Van Vin Voon Vagadhish‍vari ।
Kran Krin Kroon Kalika Devi Shan Shin Shoon Me Shubhan Kuru ॥5

Hun Hun Hunkararoopinyai Jan Jan Jan Jambhanadini ।
Bhran Bhrin Bhroon Bhairavi Bhadre Bhavanyai Te Namo Namah ॥6

An Kan Chan Tan Tan Pan Yan Shan Vin Dun Ain Vin Han Kshan ।
Dhijagran Dhijagran Trotay Trotay Diptan Kuru Kuru Svaha ॥7

Pan Pin Poon Parvati Poorna Khan Khin Khoon Khechari Tatha ।
San Sin Soon Saptashati Devya Mantrasiddhin Kurushv Me ॥8

Idan Tu Kunjikastotramantrajagartihatave ।
Abhakte Naiv Datavyangopitan Raksh Parvati

Yastu Kunjikaya Devihinam Saptashati Pathet ।
Na Tasy Jayatesiddhiraranye Rodanan Yatha

Iti Shri Rudrayamale Gauritantre Shivaparvati-samvade Kunjikastotram Sampoornam