Bhairav Chalisa is a devotional hymn dedicated to Lord Bhairav, who is considered a fierce form of Lord Shiva. The Bhairav Chalisa describes Lord Bhairav as the one who is adorned with snake garlands and skulls, who is the destroyer of enemies and the giver of blessings. The verses of the Chalisa also describe Lord Bhairav’s qualities and his ability to protect his devotees from harm and negativity.
श्री भैरव चालीसा भगवान भैरव को समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है, जिन्हें भगवान शिव का उग्र रूप माना जाता है। भैरव चालीसा में भगवान भैरव का वर्णन सर्प मालाओं और खोपड़ियों से सुशोभित, शत्रुओं का नाश करने वाले और आशीर्वाद देने वाले के रूप में किया गया है। चालीसा के छंद भी भगवान भैरव के गुणों और उनके भक्तों को नुकसान और नकारात्मकता से बचाने की क्षमता का वर्णन करते हैं।
Bhairav Chalisa
Bhairav Chalisa Lyrics | श्री भैरव चालीसा
दोहा
श्री गणपति गुरु गौरी पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो, श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ॥
चौपाई
जय जय श्री काली के लाला ।
जयति जयति काशी-कुतवाला ॥1॥
जयति बटुक-भैरव भय हारी ।
जयति काल-भैरव बलकारी ॥2॥
जयति नाथ-भैरव विख्याता ।
जयति सर्व-भैरव सुखदाता ॥3॥
भैरव रूप कियो शिव धारण ।
भव के भार उतारण कारण ॥4॥
भैरव रव सुनि हवै भय दूरी ।
सब विधि होय कामना पूरी ॥5॥
शेष महेश आदि गुण गायो ।
काशी-कोतवाल कहलायो ॥6॥
जटा जूट शिर चंद्र विराजत ।
बाला मुकुट बिजायठ साजत ॥7॥
कटि करधनी घुंघरू बाजत ।
दर्शन करत सकल भय भाजत ॥8॥
जीवन दान दास को दीन्ह्यो ।
कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ॥9॥
वसि रसना बनि सारद-काली ।
दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ॥10॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।
जय मनरंजन खल दल भंजन ॥11॥
कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा ।
कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा ॥12॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत ।
अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत ॥13॥
रूप विशाल कठिन दुख मोचन ।
क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥14॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत ।
बम बम बम शिव बम बम बोलत ॥15॥
रुद्रकाय काली के लाला ।
महा कालहू के हो काला ॥16॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा ।
श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा ॥17॥
करत नीनहूं रूप प्रकाशा ।
भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥18॥
रत्न जड़ित कंचन सिंहासन ।
व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥19॥
तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं ।
विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥20॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय ।
जय उन्नत हर उमा नन्द जय ॥21॥
भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय ।
वैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥22॥
महा भीम भीषण शरीर जय ।
रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय ॥23॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।
स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय ॥24॥
निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय ।
गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥25॥
त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय ।
क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥26॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय ।
कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥27॥
रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर ।
चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥28॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत ।
चौंसठ योगिन संग नचावत ॥29॥
करत कृपा जन पर बहु ढंगा ।
काशी कोतवाल अड़बंगा ॥30॥
देयं काल भैरव जब सोटा ।
नसै पाप मोटा से मोटा ॥31॥
जनकर निर्मल होय शरीरा ।
मिटै सकल संकट भव पीरा ॥32॥
श्री भैरव भूतों के राजा ।
बाधा हरत करत शुभ काजा ॥33॥
ऐलादी के दुख निवारयो ।
सदा कृपाकरि काज सम्हारयो ॥34॥
सुन्दर दास सहित अनुरागा ।
श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥35॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो ।
सकल कामना पूरण देख्यो ॥36॥
दोहा
जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार ॥
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।
उस घर सर्वानंद हो, वैभव बढे अपार ॥
Iti Shri Bheruji Chalisa Sampoorn | इति श्री भैरूजी चालीसा सम्पूर्ण
Bhairav Chalisa in Hindi | भैरव चालीसा हिंदी में
Bhairav Chalisa with Meaning | श्री भैरव चालीसा अर्थ सहित
दोहा
श्री गणपति, गुरुदेव, गौरि के चरणों में नमन कर मैं शिवरूप श्री भैरवदेव का चालीसा रचता हूं ॥
संकटहर्ता, मंगलकर्ता कृपालु श्री भैरव का वर्ण श्याम, शरीर विकराल तथा नयन विशाल हैं ॥
चौपाई
हे काली के पुत्र ! आपकी जय हो, जय हो! हे काशी के कोतवाल ! आपकी जय हो, जय हो ॥1॥
भय हरने वाले हे बटुक भैरव ! आपकी जय हो। हे बल को बढ़ाने वाले काल भैरव ! आपकी जय हो ॥2॥
स्वामी रूप से प्रसिद्ध तथा सर्वविध सुख प्रदान करने वाले हे भैरव ! आपकी जय हो ॥3॥
हे भैरव ! आपने शिव का भार कम करने के उद्देश्य से स्वयं शिवजी का रूप धारण कर लिया ॥4॥
श्री भैरव की घोर गर्जना सुनते ही भय भाग जाते हैं और सभी प्रकार के मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं ॥5॥
हे भैरव ! शिव और शेष आपका गुणगान करते हैं। तभी तो आपको काशी का कोतवाल कहा जाता है ॥6॥
आपके शीश पर जटाएं और चन्द्र शोभायमान हैं। आपके मुकुट और बाजूबन्द की शोभा भव्य है ॥7॥
आपके कटिभाग में करधनी और घुंघरू बजते रहते हैं तथा आपके दर्शन से सभी भय भाग जाते हैं ॥8॥
आपने अपने दास को जीवन दान दिया तथा जब आपकी कृपा हुई, तभी उसने आपको पहचाना ॥9॥
आपने सरस्वती और महाकाली बनकर मेरी जिह्वा पर वास किया और वर देकर मेरी लाज रख ली ॥10॥
हे भय नाशक भैरव ! आप धन्य हैं। दुष्टों का नाश कर मन को प्रमुदित करने वाले हे भैरव ! आपकी जय हो ॥11॥
आप अपने हाथों में त्रिशूल, डमरू, पावन कोड़ा धारण किए हैं। आपकी कृपा का यश कम नहीं है ॥12॥
निर्भीक होकर श्री भैरवजी का गुणगान करने वाला आठों सिद्धियों और नौ निधियों को पाता है ॥13॥
दुःखनाशक आपका रूप विशाल हैं, जो क्रोध भरे लाल नेत्रों के कारण अति विकराल हो जाता है ॥14॥
आपके साथ-साथ बम-बम-बम शिव का उच्चारण करते अनेक भूत-प्रेत विचरण करते रहते हैं ॥15॥
हे रुद्र देह वाले भैरवदेव! आप काली के पुत्र हैं तथा महाकाल को भी निवाला बनाने में सक्षम हैं ॥16॥
हे बटुक भैरव ! आप काल की भांति गंभीर हैं। आपकी देह श्याम, रक्त और श्वेत वर्ण की है ॥17॥
आप अपने तीनों रूपों को प्रकाशित करने वाले हैं तथा अपने भक्तों की आशाओं को पूर्ण करने वाले हैं ॥18॥
आपके स्वर्ण-सिंहासन में रत्न जड़े हुए हैं। पवित्र, सुन्दर व्याघ्र चर्म आपका अतिपवित्र आसन है ॥19॥
जो व्यक्ति काशी में पहुंचकर आपका ध्यान करते हैं, उन्हें बाबा विश्वनाथ के दर्शन का सौभाग्य मिलता है ॥20॥
हे संहारक प्रभु! आपकी जय हो। हे सुनन्द! आपकी जय हो। हे शिवा! हे उमापति! आपकी जय हो ॥21॥
हे भीमकाय ! हे त्रिनयन ! श्वान पर सवार बैजनाथ के रूप में संसार के स्वामी! आपकी जय हो ॥22॥
हे भीषण काय महाभीम, रौद्र रूप, तीन नेत्रों वाले, धैर्यवान एवं बलवान भैरव देव ! आपकी जय हो ॥23॥
हे अश्वपति! हे प्रेतों के नायक! श्वान पर सवार हे चन्द्रपति ! आपकी बारंबार जय हो ॥24॥
क्षणमात्र में दिगम्बर स्वरूप धारण करने वाले हे चक्रनाथ ! अनाथों का हाथ पकड़ने वाले आपकी जय हो ॥25॥
हे त्रेसलेश! हे भूतनाथ ! चन्द्र स्वरूप! आपकी जय हो। हे क्रोध व अमरेश पुत्र ! आपकी जय हो ॥26॥
हे श्री वामन, नकुलेश, चण्डरूप! हे कृत्याओं की कीर्ति, प्रचण्ड स्वरूप ! भैरव देव ! आपकी जय हो ॥27॥
आप रुद्र हैं, बटुक हैं, क्रोधेश हैं, काल और सर्पों को धारण करने वाले हैं। आप दसपाणि चक्रतुण्ड हैं ॥28॥
आप मद्यपान कर शिव का यशोगान करते हुए चौंसठ योगिनियों को साथ-साथ नचाने वाले हैं ॥29॥
आप भक्तों पर अनेक तरह से कृपा करने वाले अबूझ स्वभाव वाले काशी के कोतवाल हैं ॥30॥
जब काल भैरव अपने दंड से प्रहार करते हैं, तो उसके भय से बड़े से बड़ा पाप भी भाग ठहर नहीं पाता ॥31॥
आपका ध्यान करने से देह पावन हो जाती है तथा सभी प्रकार के संकट व कष्ट ( पीड़ा ) दूर हो जाते हैं ॥32॥
श्री भैरवनाथ भूतपति हैं तथा सभी विघ्न-बाधाओं को दूर करके कल्याण करते हैं ॥33॥
आपने ऐल आदि के दुःखों को दूर किया तथा सतत् कृपा करते हुए उनके कारज संवारे ॥34॥
हे दुखनाशक श्री भैरवनाथ! आपके भक्त सुन्दरदास ने प्रयाग के निकट दुर्वासा में प्रेम पूर्वक…
…श्री भैरव चालीसा की रचना की तथा अपने सभी मनोरथों को पूरा होते हुए देखा ॥36॥
दोहा
हे बटुक भैरव ! आपकी जय हो। हे शिव के अवतार आप सभी संकटों को दूर कर इस भक्त पर कृपा करें ॥
जो इस भैरव चालीसा का श्रद्धाभाव से सौ बार पाठ करता है, उसके घर में आनन्द तथा धन की वृद्धि होती है ॥
Iti Bheru Chalisa Sampoorn | इति श्री भैरूजी चालीसा सम्पूर्ण
Kaal Bhairav Chalisa | काल भैरव चालीसा (English)
Doha
Shri Ganapati Guru Gauri Pad, Prem Sahit Dhari Math ।
Chalisa Vandan Karo, Shri Shiv Bhairavanath ॥
Shri Bhairav Sankat Haran, Mangal Karan Kripal ।
Shyam Varan Vikaral Vapu, Lochan Laal Vishal ॥
Chaupai
Jai Jai Shri Kali Ke Lala ।
Jayati Jayati Kashi-kutawala ॥1॥
Jayati Batuk-bhairav Bhay Hari ।
Jayati Kaal-bhairav Balakari ॥2॥
Jayati Nath-bhairav Vikhyata ।
Jayati Sarv-bhairav Sukhdata ॥3॥
Bhairav Roop Kiyo Shiv Dharan ।
Bhav Ke Bhar Utaran Karan ॥4॥
Bhairav Rav Suni Havai Bhay Doori ।
Sab Vidhi Hoy Kamana Poori ॥5॥
Shesh Mahesh Aadi Gun Gayo ।
Kashi-kotwal Kahalayo ॥6॥
Jata Joot Shir Chandra Virajat ।
Bala Mukut Bijayath Sajat ॥7॥
kati Karadhani Ghungharoo Bajat ।
Darshan Karat Shakat Bhaya Bhajat ॥8॥
Jeevan Daan Daas Ko Deenhyo ।
Keenhyo Kripa Nath Tab Cheenhyo ॥9॥
Vasi Rasna Bani Sarad-kali ।
Dinhyo Var Rakyo Mam Lali ॥10॥
Dhany Dhany Bhairav Bhay Bhanjan ।
Jai Manaranjan Khal Dal Bhanjan ॥11॥
Kar Trishool Damaroo Shuchi Koda ।
Kripa Kataksh Suyash Nahin Thoda ॥12॥
Jo Bhairav Nirbhay Gun Gavat ।
Ashtasiddhi Nav Nidhi Phal Pavat ॥13॥
Roop Vishal Kathin Dukh Mochan ।
Krodh Karal Laal Duhun Lochan ॥14॥
Aganit Bhut Pret Sang Dolat ।
Bam Bam Bam Shiv Bam Bam Bolat ॥15॥
Rudrakay Kali Ke Lala ।
Maha Kalahoo Ke Ho Kala ॥16॥
Batuk Nath Ho Kal Gambhira ।
Shvet Rakt Aru Shyam Sharira ॥17॥
Karat Ninahoon Roop Prakasha ।
Bharat Subhaktan Kahan Shubh Aasha ॥18॥
Ratna Jadit Kanchan Sinhasan ।
Vyaghr Charm Shuchi Narm Suanan ॥19॥
Tumahi Jai Kashihin Jan Dhyavahin ।
Viswanath Kahan Darshan Pavahin ॥20॥
Jai Prabhu Sanharak Sunand Jai ।
Jai Unnat Har Uma Nand Jai ॥21॥
Bhim Trilochan Svan Sath Jai ।
Vaijanath Shri Jagatanath Jai ॥22॥
Maha Bhim Bhishan Sharir Jai ।
Rudr Trayambak Dhir Veer Jai ॥23॥
Ashwanath Jai Pretanath Jai ।
Svanarudh Sayachandr Nath Jai ॥24॥
Nimish Digambar Chakranath Jai ।
Gahat Anathan Nath Hath Jai ॥25॥
Treshalesh Bhootesh Chandr Jai ।
Krodh Vats Amaresh Nand Jai ॥26॥
Shri Vaman Nakulesh Chand Jai ।
Krtyaoo Kirati Prachand Jai ॥27॥
Rudr Batuk Krodhesh Kaladhar ।
Chakr Tund Dash Panivyal Dhar ॥28॥
Kari Mad Pan Shambhu Gunagavat ।
Chaunsath Yogin Sang Nachavat ॥29॥
Karat Kripa Jan Par Bahu Dhanga ।
Kashi Kotaval Adabanga ॥30॥
Deyan Kaal Bhairav Jab Sota ।
Nasai Paap Mota Se Mota ॥31॥
Janakar Nirmal Hoy Sharira ।
Mitai Sakal Sankat Bhav Pira ॥32॥
Shri Bhairav Bhooton Ke Raja ।
Badha Harat Karat Shubh Kaja ॥33॥
Ailadi Ke Dukh Nivarayo ।
Sada Kripakari Kaj Samharayo ॥34॥
Sundar Daas Sahit Anuraga ।
Shri Durvasa Nikat Prayaga ॥35॥
Shri Bhairav Ji Ki Jai Lekhyo ।
Sakal Kamna Pooran Dekhyo ॥36॥
Doha
Jai Jai Jai Bhairav Batuk Svami Sankat Tar ।
Kripa Daas Par Kijie Shankar Ke Avtar ॥
Jo Yeh Chalisa Pade, Prem Sahit Shat Baar ।
Us Ghar Sarvanand Ho, Vaibhav Badhe Apaar ॥